इस Post में ऊर्जा Energy के विभिन्न स्रोतों पर विस्तार से बताया गया है । उर्जा संसाधन के वितरण एवं उत्पादन पर भी प्रकाश डाला गया है इस Post का अध्ययन करने के बाद उर्जा संसाधन के विभिन्न पहलुओं को जान सकेंगे, e.g.-
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- ऊर्जा संसाधन किसे कहते हैं,
- ऊर्जा संसाधन का क्या महत्त्व है,
- परंपरागत एवं अपरंपरागत ऊर्जा स्रोतों में अंतर स्पष्ट करेंगे
- ऊर्जा संसाधन की समस्याओं को बताऐंगे, तथा
- संरक्षण एवं प्रबंधन के लाभ को भी बताएंगे ।
ऊर्जा संसाधन का परिचय (Introduction of Energy)
किसी कार्य को करने की क्षमता को ऊर्जा कहा जाता है। किसी क्रिया को पूर्ण रूप देने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है।ये वांछित ऊर्जा हमें संसाधन से प्राप्त होती है।
इस पारिस्थितिकी तन्त्र में अजैव एवं जैव घटकों के मध्य ऊर्जा का प्रवाह अनवरत रूप से चलता रहता है । ऊर्जा प्रवाह के अन्तर्गत ही सूर्य से ऊर्जा प्राप्ति, उसका एक तत्त्व से दूसरे तत्त्व में आवर्त्तन, भंडारण एवं अंतत: पर्यावरण में निस्तारण भी सम्मिलित है । निर्बाध प्राकृतिक–प्रक्रिया की स्थिति में पर्यावरण–तन्त्र स्वनियामक है। यह एक संतुलित दशा में जब रहता है तब प्रति इकाई ऊर्जा अधिकतम जैव–पुंज (Bio-Mass) धारण करता है । यह वातावरण के प्रौढ़ावस्था को प्रदर्शित करता हैं । जिसमें पारितन्त्र के विभिन्न अवयवों में कार्यात्मक अन्योन्याश्रिता विकसित होती है । यह ताप गत्यात्मकता (Thermodynamics) के नियमों पर कार्यशील रहता है।
मानव प्राकृतिक–जैविक वातावरण से ही तकनीकि (Technology) द्वारा संसाधन सृजन करता है । प्रविधि वस्तुतः ऊर्जा के नियंत्रण पर निर्भर है। जितनी उच्चस्तरीय प्रविधि का प्रयोग होगा उतनी ही ऊर्जा की खपत होगी । आर्थिक विकास के लिए उच्चस्तरीय प्रविधि की अधिकाधिक आवश्यकता पड़ती है । आर्थिक विकास उर्जा नियंत्रण का प्रतिफल है । उर्जा का नियंत्रण विविध रूपों में होता है जिसे हम ऊर्जा के प्रकार कहते हैं। वस्तुत: ऊर्जा–नियंत्रण ही वह शक्ति है जिसमे मानव आर्थिक क्रिया–कलाप संपादित करता है । अतः इसे शक्ति संसाधन भी कहते हैं ।
ऊर्जा के स्रोत विकास एवं औद्योगिकीकरण के आधार हैं
ऊर्जा विकास की कुंजी है । मानव सदियों से विभिन्न क्रिया–कलाप हेतु ऊर्जा के जैव (animate) एवं अजैव (Inanimate) रूपों का प्रयोग कर रहा है । मानव ने प्रारंभिक चरणों में अपने मांसल शक्ति का प्रयोग किया, फिर पशुओं को परिवहन के कार्य में लगाया । मानव के आर्थिक–क्रिया कलाप के बढ़ने के साथ–साथ ऊर्जा (Energy) तथा शक्ति (Power) के नये–नये श्रोत भी बढ़ते गए । कालान्तर में मशीनों को चलाने के लिए पवन चक्की का उपयोग किया जाने लगा। शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के साथ प्रारंभ हुआ । कोयला का उपयोग कर वाष्प शक्ति (Steam Power) का विकास, इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति का प्रथम चरण था । इस औद्योगिक क्रांति का प्रसार अन्य यूरोपिय देशों में भी हुआ । तब से मानव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा । समय बीतने के साथ ऊर्जा के नए स्रोत विकसित हो गये । पेट्रोलियम ने कोयले का स्थान ले लिया । कालांतर में परमाणु शक्ति का विकास किया गया । आज शक्ति तथा ऊर्जा के स्रोत विकास एवं औद्योगिकीकरण के आधार हैं।
ऊर्जा के विविध स्वरूप (Various forms of Energy)
पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है । जैविक या अजैविक स्रोत, पृथ्वी में निहित या मानव में निहित शक्ति किसी–न–किसी रूप में सूर्य से प्राप्त होती है । पौधे प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) क्रिया द्वारा सूर्य से ऊर्जा ग्रहण करते हैं । यही ऊर्जा जन्तुओं में भोजन श्रृंखला द्वारा रूपांतरित होती है तथा पौधों के भूमिगत दबने, सड़ने–गलने से फॉसिल ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम आदि) बनते हैं| अथवा पृथ्वी के अर्न्तताप (Geothermal), ज्वार, बहते जल, रेडियोधर्मी खनिज आदि का रूपधारण करती है । जिस माध्यम से ऊर्जा का उपयोग होता है उसके अनुसार इन्हें–
- (i) यांत्रिक ऊर्जा
- (ii) रासायनिक ऊर्जा
- (iii) विद्युत ऊर्जा
के रूप में जाना जाता है।
ऊर्जा का वर्गीकरण (Classification of Energy)
ऊर्जा के वर्गीकरण के विविध आधार हो सकते हैं । माध्यम अथवा पदार्थगत प्राप्यता–अप्राप्यता अथवा उपभोग स्तर के अनुसार ऊर्जा को निम्नवत् विभाजित किया जा सकता है

A. उपयोगिता के दृष्टि से ऊर्जा को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
- प्राथमिक ऊर्जा (Primary Energy) : कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, बहता जल,अन्तर्ताप या रेडियोधर्मी खनिज को प्राथमिक ऊर्जा के अन्तर्गत रखा जाता हैं।
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गौण उर्जा (Secondary Energy) : यह ऊर्जा प्राथमिक स्रोतों से उत्पादित होती है, और सर्वथा दूसरे प्रारूप में होती है । विद्युत एक गौण ऊर्जा है, जो कोयला पेट्रोलियम, या प्राकृतिक गैस के दहन द्वारा बहते जल या गिरते जल से यांत्रिक ऊर्जा में परिणति द्वारा या रेडियोधर्मी खनिजों से सम्प्राप्त होती है । विद्युत स्वतंत्र शक्ति स्रोत नहीं है, वह परिवर्तित शक्ति प्रारूप मात्र है ।
B. स्रोत की स्थिति के आधार पर ऊर्जा संसाधन को दो भागों में बाँटा जा सकता है
- क्षयशील ऊर्जा संसाधन (Exhaustible Resources) : कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं आण्विक खनिज क्षयशील ऊर्जा हैं । इनमें कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) कहलाते हैं, क्योंकि इनका निर्माण मृत जीव–जन्तुओं के अवशेष से हुआ है I
- अक्षयशील ऊर्जा संसाधन (Inexhaustible Resources) : प्रवाही जल, पवन, लहरें, सौर– ऊर्जा एवं भूतापीय ऊर्जा अक्षयशील ऊर्जा हैं जो सतत् प्राप्त हैं|
ऊर्जा के स्रोत (Sources of Energy)
मोटे तौर पर ऊर्जा के दो प्रमुख स्रोत हैं–
- जैविक ऊर्जा स्रोत (Animate Energy Source) : इसके अन्तर्गत मानव एवं प्राणी शक्ति को रखा गया है
- अजैविक ऊर्जा स्रोत (Inanimate Energy Source) : इसके अन्तर्गत, जलशक्ति, पवनशक्ति, ज्वारीय शक्ति, सौर्य शक्ति तथा इंधन शक्ति आते हैं|आधुनिक काल में औद्योगिक ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं–कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, प्रवाही जल एवं आण्विक खनिज (Atomic Minerals)|
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